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नई दिल्ली
ग्लोबल इकोनॉमी पर एक बार फिर मंदी (Global Recession) का साया मंडरा रहा है. जापान-जर्मनी और ब्रिटेन के बाद अब इसका खतरा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि China Economy की बिगड़ी सूरत की तस्वीर आर्थिक आंकड़ों से साफ हो रही है, जो हैरान करने वाली है. चीन में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी China FDI में बड़ी गिरावट आई है, जो करीब 3 दशक में सबसे खराब है. आइए समझते हैं क्या संकेत दे रहे हैं चीनी आंकड़े और कैसे भारत को एक बड़ा मौका हाथ लग सकता है?
एक बार फिर मंदी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन
बीते साल 2023 में मंदी की चर्चाएं सुर्खियों में थीं और इसका संकेत कई तरीके से मिल रहा था, जिसमें तमाम बड़ी कंपनियों में बड़ी छंटनी का सिलसिला भी शामिल था. अब एक बार फिर साल 2024 में भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं और आर्थिक मंदी के खतरे ने दुनिया की टेंशन बढ़ाने का काम किया है. एक के बाद एक बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त होती जा रही हैं. इसका ताजा उदाहरण जापान है. Japan ने मंदी की मार के चलते दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हाल ही में खोया है और इस पायदान पर काबिज होने वाले जर्मनी (Germany) का हाल भी कुछ ठीक नहीं है. वहीं ब्रिटेन (Britain) की जीडीपी भी लगातार सिकुड़ती हुई दिख रही है.
Japan नहीं रहा तीसरी बड़ी इकोनॉमी : विस्तार से समझें तो दिसंबर तिमाही में जापान की इकॉनमी में 0.4 फीसदी, जबकि सितंबर तिमाही में 3.3 फीसदी की गिरावट आई. लगातार दो तिमाहियों में Japan GDP की गिरावट के चलते वो दुनिया की तीसरी इकोनॉमी के अपने स्थान से खिसककर चौथे नंबर पर आ गया. देश की जीडीपी 4.2 ट्रिलियन डॉलर रह गई.
Germany की जीडीपी सिकुड़ी : जापान के चौथे पायदान पर खिसकने का फायदा जर्मनी को हुआ और वो 4.5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. लेकिन इसका हाल भी कुछ ठीक नहीं है, दरअसल, यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी भी बीते साल मंदी के साये में रही है. 2023 में जर्मनी की जीडीपी 0.3 फीसदी सिकुड़ गई.
Britain का ये है हाल : अब बात अगर ब्रिटेन की तो ये भी मंदी (Recession) की चपेट में नजर आ रहा है. यहां भी दो तिमाहियों से जीडीपी में गिरावट जारी है. ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ONS) के मुताबिक, जहां सितंबर तिमाही में UK GDP में 0.1 फीसदी की गिरावट आई थी, तो वहीं दिसंबर तिमाही में 0.3 फीसदी तक सिकुड़ गई है. ऐसे में दुनिया की टॉप इकोनॉमी में शामिल इस देश को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं.
America पर कर्ज का बोझ बढ़ा : दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. इस पर कर्ज का भार (US Debt) लगातार बढ़ता जा रहा है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (IIF) के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका पर कर्ज बढ़कर 34 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
क्या अब China का है नंबर?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन (China Economy) भी तमाम संकटों से जूझ रही है. रियल एस्टेट से लेकर बैंकिंग क्राइसिस तक ने इसकी बदहाली की तस्वीर दुनिया के सामने रखी है. वहीं अब एफडीआई के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसे देखकर ये आशंका लगाई जाने लगी है कि क्या मंदी चीन में भी दस्तक तो नहीं दे रही है. ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (China FDI) का आंकड़ा 30 सालों में सबसे खराब रहा है. वहीं दूसरी ओर चीनी शेयर बाजारों (China Share Market) में गिरावट का दौर जारी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को एफडीआई के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है. बीते साल 2023 में देश को मिलने वाला विदेशी निवेश महज 33 अरब डॉलर रहा है, जो कि साल 2022 की तुलना में 82 फीसदी कम है. चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज के आंकड़ों के हवाले से इसमें कहा गया है कि 2023 के दौरान चीन के बैलेंस ऑफ पेमेंट्स में डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट लायबलिटीज 33 अरब डॉलर पर आ गया. यह आंकड़ा साल 1993 के बाद सबसे कम है.
भारत के लिए ऐसे है बड़ा मौका
China में एफडीआई घटने से इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि अब ज्यादातर बाहरी कंपनियां चीन से दूरी बना रही हैं और नए ठिकाने तलाश रही हैं. क्योंकि FDI Data बताता है कि विदेशी कंपनियों ने चीन में कितना निवेश किया. यहां सवाल ये उठता है कि चीन छोड़ने के बाद जापान-जर्मनी और ब्रिटेन का रुख करने वाली कंपनियां क्या करेंगी क्योंकि इन तमाम देश भी मंदी के साये में हैं. ऐसे में भारत के लिए ये बड़ा मौका साबित हो सकता है.
दरअसल, चीन की बदहाली और अन्य बड़े देशों में मंदी के खतरे के बीच अब भारत विदेशी कंपनियों के सुरक्षित ठिकाना साबित हो सकता है. बीते कुछ समय में एप्पल से लेकर माइक्रोन तक ने भारत का रुख किया है. इसके साथ ही भारत सरकार ने भी विदेशी निवेशकों के लिए तमाम सुविधाएं दी हुई हैं, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने में कारगर साबित हो रही हैं. भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है और जापान-जर्मनी-ब्रिटेन की बुरे हाल के चलते देश तीसरी बड़ी इकोनॉमी के लक्ष्य को अनुमान से पहले ही पा सकता है.
नई दिल्ली
ग्लोबल इकोनॉमी पर एक बार फिर मंदी (Global Recession) का साया मंडरा रहा है. जापान-जर्मनी और ब्रिटेन के बाद अब इसका खतरा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि China Economy की बिगड़ी सूरत की तस्वीर आर्थिक आंकड़ों से साफ हो रही है, जो हैरान करने वाली है. चीन में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी China FDI में बड़ी गिरावट आई है, जो करीब 3 दशक में सबसे खराब है. आइए समझते हैं क्या संकेत दे रहे हैं चीनी आंकड़े और कैसे भारत को एक बड़ा मौका हाथ लग सकता है?
एक बार फिर मंदी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन
बीते साल 2023 में मंदी की चर्चाएं सुर्खियों में थीं और इसका संकेत कई तरीके से मिल रहा था, जिसमें तमाम बड़ी कंपनियों में बड़ी छंटनी का सिलसिला भी शामिल था. अब एक बार फिर साल 2024 में भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं और आर्थिक मंदी के खतरे ने दुनिया की टेंशन बढ़ाने का काम किया है. एक के बाद एक बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त होती जा रही हैं. इसका ताजा उदाहरण जापान है. Japan ने मंदी की मार के चलते दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हाल ही में खोया है और इस पायदान पर काबिज होने वाले जर्मनी (Germany) का हाल भी कुछ ठीक नहीं है. वहीं ब्रिटेन (Britain) की जीडीपी भी लगातार सिकुड़ती हुई दिख रही है.
Japan नहीं रहा तीसरी बड़ी इकोनॉमी : विस्तार से समझें तो दिसंबर तिमाही में जापान की इकॉनमी में 0.4 फीसदी, जबकि सितंबर तिमाही में 3.3 फीसदी की गिरावट आई. लगातार दो तिमाहियों में Japan GDP की गिरावट के चलते वो दुनिया की तीसरी इकोनॉमी के अपने स्थान से खिसककर चौथे नंबर पर आ गया. देश की जीडीपी 4.2 ट्रिलियन डॉलर रह गई.
Germany की जीडीपी सिकुड़ी : जापान के चौथे पायदान पर खिसकने का फायदा जर्मनी को हुआ और वो 4.5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. लेकिन इसका हाल भी कुछ ठीक नहीं है, दरअसल, यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी भी बीते साल मंदी के साये में रही है. 2023 में जर्मनी की जीडीपी 0.3 फीसदी सिकुड़ गई.
Britain का ये है हाल : अब बात अगर ब्रिटेन की तो ये भी मंदी (Recession) की चपेट में नजर आ रहा है. यहां भी दो तिमाहियों से जीडीपी में गिरावट जारी है. ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ONS) के मुताबिक, जहां सितंबर तिमाही में UK GDP में 0.1 फीसदी की गिरावट आई थी, तो वहीं दिसंबर तिमाही में 0.3 फीसदी तक सिकुड़ गई है. ऐसे में दुनिया की टॉप इकोनॉमी में शामिल इस देश को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं.
America पर कर्ज का बोझ बढ़ा : दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. इस पर कर्ज का भार (US Debt) लगातार बढ़ता जा रहा है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (IIF) के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका पर कर्ज बढ़कर 34 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
क्या अब China का है नंबर?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन (China Economy) भी तमाम संकटों से जूझ रही है. रियल एस्टेट से लेकर बैंकिंग क्राइसिस तक ने इसकी बदहाली की तस्वीर दुनिया के सामने रखी है. वहीं अब एफडीआई के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसे देखकर ये आशंका लगाई जाने लगी है कि क्या मंदी चीन में भी दस्तक तो नहीं दे रही है. ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (China FDI) का आंकड़ा 30 सालों में सबसे खराब रहा है. वहीं दूसरी ओर चीनी शेयर बाजारों (China Share Market) में गिरावट का दौर जारी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को एफडीआई के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है. बीते साल 2023 में देश को मिलने वाला विदेशी निवेश महज 33 अरब डॉलर रहा है, जो कि साल 2022 की तुलना में 82 फीसदी कम है. चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज के आंकड़ों के हवाले से इसमें कहा गया है कि 2023 के दौरान चीन के बैलेंस ऑफ पेमेंट्स में डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट लायबलिटीज 33 अरब डॉलर पर आ गया. यह आंकड़ा साल 1993 के बाद सबसे कम है.
भारत के लिए ऐसे है बड़ा मौका
China में एफडीआई घटने से इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि अब ज्यादातर बाहरी कंपनियां चीन से दूरी बना रही हैं और नए ठिकाने तलाश रही हैं. क्योंकि FDI Data बताता है कि विदेशी कंपनियों ने चीन में कितना निवेश किया. यहां सवाल ये उठता है कि चीन छोड़ने के बाद जापान-जर्मनी और ब्रिटेन का रुख करने वाली कंपनियां क्या करेंगी क्योंकि इन तमाम देश भी मंदी के साये में हैं. ऐसे में भारत के लिए ये बड़ा मौका साबित हो सकता है.
दरअसल, चीन की बदहाली और अन्य बड़े देशों में मंदी के खतरे के बीच अब भारत विदेशी कंपनियों के सुरक्षित ठिकाना साबित हो सकता है. बीते कुछ समय में एप्पल से लेकर माइक्रोन तक ने भारत का रुख किया है. इसके साथ ही भारत सरकार ने भी विदेशी निवेशकों के लिए तमाम सुविधाएं दी हुई हैं, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने में कारगर साबित हो रही हैं. भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है और जापान-जर्मनी-ब्रिटेन की बुरे हाल के चलते देश तीसरी बड़ी इकोनॉमी के लक्ष्य को अनुमान से पहले ही पा सकता है.
नई दिल्ली
ग्लोबल इकोनॉमी पर एक बार फिर मंदी (Global Recession) का साया मंडरा रहा है. जापान-जर्मनी और ब्रिटेन के बाद अब इसका खतरा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि China Economy की बिगड़ी सूरत की तस्वीर आर्थिक आंकड़ों से साफ हो रही है, जो हैरान करने वाली है. चीन में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी China FDI में बड़ी गिरावट आई है, जो करीब 3 दशक में सबसे खराब है. आइए समझते हैं क्या संकेत दे रहे हैं चीनी आंकड़े और कैसे भारत को एक बड़ा मौका हाथ लग सकता है?
एक बार फिर मंदी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन
बीते साल 2023 में मंदी की चर्चाएं सुर्खियों में थीं और इसका संकेत कई तरीके से मिल रहा था, जिसमें तमाम बड़ी कंपनियों में बड़ी छंटनी का सिलसिला भी शामिल था. अब एक बार फिर साल 2024 में भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं और आर्थिक मंदी के खतरे ने दुनिया की टेंशन बढ़ाने का काम किया है. एक के बाद एक बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त होती जा रही हैं. इसका ताजा उदाहरण जापान है. Japan ने मंदी की मार के चलते दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हाल ही में खोया है और इस पायदान पर काबिज होने वाले जर्मनी (Germany) का हाल भी कुछ ठीक नहीं है. वहीं ब्रिटेन (Britain) की जीडीपी भी लगातार सिकुड़ती हुई दिख रही है.
Japan नहीं रहा तीसरी बड़ी इकोनॉमी : विस्तार से समझें तो दिसंबर तिमाही में जापान की इकॉनमी में 0.4 फीसदी, जबकि सितंबर तिमाही में 3.3 फीसदी की गिरावट आई. लगातार दो तिमाहियों में Japan GDP की गिरावट के चलते वो दुनिया की तीसरी इकोनॉमी के अपने स्थान से खिसककर चौथे नंबर पर आ गया. देश की जीडीपी 4.2 ट्रिलियन डॉलर रह गई.
Germany की जीडीपी सिकुड़ी : जापान के चौथे पायदान पर खिसकने का फायदा जर्मनी को हुआ और वो 4.5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. लेकिन इसका हाल भी कुछ ठीक नहीं है, दरअसल, यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी भी बीते साल मंदी के साये में रही है. 2023 में जर्मनी की जीडीपी 0.3 फीसदी सिकुड़ गई.
Britain का ये है हाल : अब बात अगर ब्रिटेन की तो ये भी मंदी (Recession) की चपेट में नजर आ रहा है. यहां भी दो तिमाहियों से जीडीपी में गिरावट जारी है. ब्रिटेन के ऑफिस ऑफ नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ONS) के मुताबिक, जहां सितंबर तिमाही में UK GDP में 0.1 फीसदी की गिरावट आई थी, तो वहीं दिसंबर तिमाही में 0.3 फीसदी तक सिकुड़ गई है. ऐसे में दुनिया की टॉप इकोनॉमी में शामिल इस देश को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं.
America पर कर्ज का बोझ बढ़ा : दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. इस पर कर्ज का भार (US Debt) लगातार बढ़ता जा रहा है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस (IIF) के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका पर कर्ज बढ़कर 34 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
क्या अब China का है नंबर?
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन (China Economy) भी तमाम संकटों से जूझ रही है. रियल एस्टेट से लेकर बैंकिंग क्राइसिस तक ने इसकी बदहाली की तस्वीर दुनिया के सामने रखी है. वहीं अब एफडीआई के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसे देखकर ये आशंका लगाई जाने लगी है कि क्या मंदी चीन में भी दस्तक तो नहीं दे रही है. ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (China FDI) का आंकड़ा 30 सालों में सबसे खराब रहा है. वहीं दूसरी ओर चीनी शेयर बाजारों (China Share Market) में गिरावट का दौर जारी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को एफडीआई के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है. बीते साल 2023 में देश को मिलने वाला विदेशी निवेश महज 33 अरब डॉलर रहा है, जो कि साल 2022 की तुलना में 82 फीसदी कम है. चीन के स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज के आंकड़ों के हवाले से इसमें कहा गया है कि 2023 के दौरान चीन के बैलेंस ऑफ पेमेंट्स में डाइरेक्ट इन्वेस्टमेंट लायबलिटीज 33 अरब डॉलर पर आ गया. यह आंकड़ा साल 1993 के बाद सबसे कम है.
भारत के लिए ऐसे है बड़ा मौका
China में एफडीआई घटने से इस बात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि अब ज्यादातर बाहरी कंपनियां चीन से दूरी बना रही हैं और नए ठिकाने तलाश रही हैं. क्योंकि FDI Data बताता है कि विदेशी कंपनियों ने चीन में कितना निवेश किया. यहां सवाल ये उठता है कि चीन छोड़ने के बाद जापान-जर्मनी और ब्रिटेन का रुख करने वाली कंपनियां क्या करेंगी क्योंकि इन तमाम देश भी मंदी के साये में हैं. ऐसे में भारत के लिए ये बड़ा मौका साबित हो सकता है.
दरअसल, चीन की बदहाली और अन्य बड़े देशों में मंदी के खतरे के बीच अब भारत विदेशी कंपनियों के सुरक्षित ठिकाना साबित हो सकता है. बीते कुछ समय में एप्पल से लेकर माइक्रोन तक ने भारत का रुख किया है. इसके साथ ही भारत सरकार ने भी विदेशी निवेशकों के लिए तमाम सुविधाएं दी हुई हैं, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करने में कारगर साबित हो रही हैं. भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना हुआ है और जापान-जर्मनी-ब्रिटेन की बुरे हाल के चलते देश तीसरी बड़ी इकोनॉमी के लक्ष्य को अनुमान से पहले ही पा सकता है.